यह किताब खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤²à¥€ और खà¥à¤¶à¥€ का न सिरà¥à¥ž अंतर सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ करती है बलà¥à¤•à¤¿ दोनों का कà¥à¤¯à¤¾ संबंध है या कà¥à¤¯à¤¾ संबंध होना चाहिठइसकी à¤à¥€ छानवीन करती हैं। खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤²à¥€ इनसान की खà¥à¤¶à¥€ में कहाठतक इज़ाफ़ा करती है और कब और किस हद के बाद वह खà¥à¤¶à¥€ पर à¤à¤¾à¤°à¥€ पड़ने लगती है? किताब यह साफ़ तौर पर सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ करती है।
लेखक का यह शेरः
कामयाबी न मेरी फ़ितरत है न मेरा मक़सद
मेरा पैग़ाम है पैग़ाम-à¤-मसà¥à¤¤à¥€ जहाठतक पहà¥à¤à¤šà¥‡à¥¤
पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का मूल मंतà¥à¤° है। ‘कामयाबी’ के कà¥à¤¯à¤¾ मायने आज इनसान समठरहा है। और कà¥à¤¯à¤¾ दरअसल होने चाहिठकिताब वखूबी बà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करती है।
जैसा कि शीरà¥à¤·à¤• से सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ है पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• जीवन जीने के à¤à¤¸à¥‡ तरीक़े और नजरियें की चरà¥à¤šà¤¾ करती है जिसमें आप डिपà¥à¤°à¥ˆà¤¶à¤¨ से बचे रहें और आपका जीवन मसà¥à¤¤à¥€ से परिपूरà¥à¤£ हो।
दरअसल पिछले तीसेक सालों में जितनी तेज़ी से आरà¥à¤¥à¤¿à¤•-वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• विकास हà¥à¤† है उतना शायद पहले कà¤à¥€ नहीं हà¥à¤†à¥¤ चिटà¥à¤ ी और टà¥à¤°à¤‚ककॉल के दौर में आप यह कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¥€ नहीं कर सकते थे कि à¤à¤• दिन मनà¥à¤·à¥à¤¯ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के किसी à¤à¥€ कोने में रह रहे मनà¥à¤·à¥à¤¯ से रà¥à¤¬à¤°à¥ बात कर पाà¤à¤—ा। जितनी सà¥à¤–-सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤ और खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤²à¥€ में आज वह रह रहा है तीसेक साल पहले उनकी कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¥€ नहीं की जा सकती थी। लेकिन खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤²à¥€ के साथ-साथ à¤à¤• तरह का सामाजिक अलगाव, अकेलापन, सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¸, तनाव और डिपà¥à¤°à¥ˆà¤¶à¤¨ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में आया है और लगातार बॠरह है।
विशà¥à¤µ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ संगठन के डिपà¥à¤°à¥ˆà¤¶à¤¨ के बारे में ऑकड़े रोंगटे खड़े कर देते हैं। दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की 5 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ जनसंखà¥à¤¯à¤¾ डिपà¥à¤°à¥ˆà¤¶à¤¨ से पीड़ित है। 2005 से 2015 के बीच डिपà¥à¤°à¥ˆà¤¶à¤¨ से पीड़ित लोगों की संखà¥à¤¯à¤¾ में 18% की वृदà¥à¤§à¤¿ हà¥à¤ˆ है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में लगà¤à¤— आठकरोड़ लोग डिपà¥à¤°à¥ˆà¤¶à¤¨ और लगà¤à¤— तीन करोड़ चिंता वà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ (à¤à¤‚गà¥à¤œà¤¾à¤‡à¤Ÿà¥€ डिसà¥à¤‘रà¥à¤¡à¤°) से पीड़ित हैं। दूसरी ओर वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ का यह à¤à¥€ मानना है कि लंबे समय तक सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥ˆà¤¸, तनाव और चिंता गंà¤à¥€à¤° बीमारियों को जनà¥à¤® देते हैं। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अगर आप गंà¤à¥€à¤° बीमारियों से बचना चाहते हैं। तो खà¥à¤¶ रहने और हà¤à¤¸à¤¨à¥‡-हà¤à¤¸à¤¾à¤¨à¥‡ के अलावा आपके पास कोई विकलà¥à¤ª नहीं है। यह किताब डिपà¥à¤°à¥ˆà¤¶à¤¨ की दवा तो नहीं है लेकिन चिंता, सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥ˆà¤¸, तनाव, डिपà¥à¤°à¥ˆà¤¶à¤¨ आदि से बचने का à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾, à¤à¤• तरीक़ा, à¤à¤• नज़रिया जरूर सà¥à¤à¤¾à¤¤à¥€ है।