सआदत हसन मंटो 11 मई 1912 को लुधियाना के क़स्बा सम्बराला के एक कश्मीरी घराने में पैदा हुए। उनके वालिद का नाम मौलवी ग़ुलाम हुसैन था और वो पेशे से जज थे। मंटो उनकी दूसरी बीवी से थे। और जब ज़माना मंटो की शिक्षा.दीक्षा का था वो रिटायर हो चुके थे। स्वभाव में कठोरता थी इसलिए मंटो को बाप का प्यार नहीं मिला। मंटो बचपन में शरारती, ालंदड़े और शिक्षा की तरफ से बेपरवाह थे। मैट्रिक में दो बार फेल होने के बाद थर्ड डिवीज़न में इम्तिहान पास किया किया, वो उर्दू में फेल हो जाते थे। बाप की कठोरता ने उनके अंदर बग़ावत की भावना पैदा की। ये विद्रोह केवल घर वालों के िा़लाफ नहीं था बल्कि उसके घेरे में Ėज़दगी के संपूर्ण सिद्धांत आ गए। जैसे उन्होंने फैसला कर लिया हो कि उन्हें Ėज़दगी अपनी और केवल अपनी शर्तों पर जीनी है। इसी मनोवैज्ञानिक गुत्थी का एक दूसरा पहलू लोगों को अपनी तरफ मुतवज्जा करने का शौक़ था।
लीडर जब आँसू बहा कर लोगों से कहते हैं कि मज़हब ा़तरे में है तो इसमें कोई हकण्ीकण्त नहीं होती। मज़हब ऐसी चीज़ ही नहीं कि ा़तरे में पड़ सके, अगर किसी बात का ा़तरा है तो वो लीडरों का है जो अपना उल्लू सीधा करने के लिए मज़हब को ा़तरे में डालते हैं।