श्री रतन टाटा का नाम सुनकर या केवल टाटा का शब्द सुनकर कुछ भी नया सा नहीं लगता, क्योंकि जैसे भारत या इंडिया शब्द हमारे मस्तिष्क में बैठा हुआ है इसी प्रकार लगभग 100 वर्षों से टाटा शब्द भारतीय जनमानस में सभी के दिल में बैठा हुआ है।
भारत के विकास में उद्योगपतियों का यदि स्मरण किया जाये तो टाटा गु्रप सर्वोपरि रहेगा। सेना की सैन्य जरूरतांे को मानो टाटा समूह ने अपनी नियमित कार्यप्रणाली का अंग बना रखा हो।
यह कवितामय जीवनी श्री रतन टाटा के संघर्ष और सफलता की ऐसी गाथा है जो भारत के भविष्य के अनगिनत युवाओं को एक सफल व्यक्ति और कर्मठ व्यक्तित्व वाला व्यक्ति बनाने का प्रयास करेगी।
मुझे यह विश्वास है कि यह संक्षिप्तरोचककथासारकम समय मेंपढ़कर सभी को गर्व एवं जीवन में संकट के समय स्वयं पर विश्वास करके फैसले लेने का मनोबल प्राप्त होगा।
जीवन में बहुत ही कम व्यक्ति ऐसे होते है जो अपने साथ-साथ दूसरों की भलाई और उत्थान के लिये जीवन भर प्रयासरत रहते है। रतन टाटा ने अपने जीवन से यह साफ कर दिया की वे एक व्यवसायी नहीं बल्कि एक उद्योगपति है जो की नये-नये उपक्रमों का सृजन करते है, जिससे लोगो की रोजगार के अवसर तो प्राप्त होते ही है साथ ही देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होकर और तीव्र गति से आगे-आगे बढ़ती है। रतन टाटा का उद्देश्य मात्रा मुनाफा बढ़ाना नहीं बल्कि लोगों देश में उद्योगों को बढ़ावा देकर देश को प्रगति के पथ पर भी ले जाना है।
धन्यवाद