गुलदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म सन् 1861 को कलकत्ता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ। उनके पिता महर्मि देवेन्द्रनाथ ठाकुर और माँ शारदा देवी थी। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर हुई। आगे कलकत्ता के प्रतिमिठक सेंट जेवियर स्कूल में हुई। उīच शिक्षा के लिए लंदन विश्वविद्यालय से कानून का अध्ययन किया। सन् 1853 में उनका विवाह मृनालिनी देवी के साथ हुआ।
बचपन से ही उनके घर के माहौल में वो ााद.बीज और पानी मौजूद था, जिसने उनके प्रतिभा को निारने का मार्ग प्रसस्त किया। बचपन से ही उनकी कविता, छंद और भामा में अद्भुत प्रतिभा का आभामा मिलने लगा था। उन्होंने पहली कविता महज 8 वर्मा की अल्पायु में लिा और केवल 16 वर्मा की अवस्था में अपनी पहली लघु.कथा की रचना की।
भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नई जान फूँकने वाले गुलदेव के सृजन संसार में अनगिनत रचना शामिल है। इनमें ‘‘गीतांजली’’ का स्थान तो घ्रुवतारे की तरह हमेशा भारतीय साहित्य में जगमगाता रहेगा। गीतांजली ही वो अद्वितीय रचना है, जिसे भारत में सर्वप्रथम साहित्य का नोवेल पुरस्कार मिला। बांग्ला में लिाने पर भी गुलदेव किसी ाास प्रांत और भामा के रचनाकार नहीं है, बल्कि समग्र मनुमय जाति को केन्द्र में राकर विचार करने वाले सन्त हैं।
‘‘प्रेम चाहे किसी से भी हो,
वो कभी अधिकार का दावा नहीं करता, क्योंकि प्रेम स्वतन्त्राता देता है।’’