देख कर राधे, कृषà¥à¤£ की पीर,
अविरल बहते नंदैय के नीर,
देती है सौगंध मनà¤à¤¾à¤µà¤¨ को,
कठोर करके अपने मन को,
अब तू और नीर न बहाना,
मैं रूठी तो कठिन होगा मनाना,
मोहन अधर मà¥à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤¨ है ठहरी,
सोचकर, कितनी है यह बाबरी,
समà¤à¤¾à¤¨à¤¾ मà¥à¤à¤•à¥‹ चाहती है,
पर पीड़ा अपनी छà¥à¤ªà¤¾ न पाती है,
पास तेरे छोड़ी सब निषानियाठहै,
गाय, गà¥à¤µà¤¾à¤², बाल, सखियाठहै,
मैं तो चला हूठअब परदेश,
गाय गोपिकाà¤à¤‚ बिन कैसा होगा देश,
राधा यह सà¥à¤¨ के है जली,
अपने को वहाठन पाके है खूब लड़ी,
गाय गोपिकाà¤à¤‚ हो तà¥à¤®à¤•à¥‹ à¤à¤²à¥€,
मैं तो अब अपनी राह चली,
छलियें ने अब दूसरा दाà¤à¤µ चला,
राधा को आंसू दिखा है छला,
नील गात लगी आंसूं की à¤à¥œà¥€,
जैसे अमà¥à¤¬à¤° बीच सरि है फूटी,
राधा तो शà¥à¤¯à¤¾à¤® का à¤à¤• अंग है,
सांवरे नठपर फ़ैली नवà¥à¤¯ रंग है,
अलौकिक छवि को हृदय में बसा,
वारी नà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€ हो गई राधा,
चितचोर ने अंततः किया समरà¥à¤ªà¤£,
राधा को अपना जीवन किया अरà¥à¤ªà¤£à¥¤
..... रजनीश
परिचय
आप à¤à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार सेवारà¥à¤¥ टेकà¥à¤¨à¥‹à¤•à¥à¤°à¥ˆà¤Ÿ होने के साथ साथ कवि हृदय वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ हैं।
शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ पर रचित इस दà¥à¤µà¤¿à¤à¤¾à¤·à¥€ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के माधà¥à¤¯à¤® से इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कृषà¥à¤£ जीवन माहातà¥à¤®à¥à¤¯ को हिंदी या कहें बोलचाल की à¤à¤¾à¤·à¤¾ के साथ ही विषà¥à¤µ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ के माधà¥à¤¯à¤® से संपूरà¥à¤£ विषà¥à¤µ को समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया है।
कृषà¥à¤£ के जीवन से सब को शिकà¥à¤·à¤¾ मिले और समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ विषà¥à¤µ कृषà¥à¤£à¤®à¤¯ हो कर आनंदित रहे यही इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• पारितोषिक होगा ।
जय शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤§à¥‡ राधे।