ग्राफोलाॅजी एक मात्र ऐसा विज्ञान हैं जिसके माध्यम से हम किसी भी व्यक्ति के हस्ताक्षर देख कर उसकी प्रतिभा, गुणों, व्यक्तित्व, सोच-विचार, और चरित्र के बारें में लगभग सब कुछ जान सकते हैं। हमारी लिखावट और हमारे हस्ताक्षरों का सीधा संबंध हमारे अवचेतन मन से होता हैं। हम सभी जानते हैं कि हमारे नाम के अलावा इस दुनिया में हस्ताक्षर ही हमारी सबसे बड़ी पहचान होते हैं। हमारे मन में जितने अधिक सकारात्मक विचार होगें हमारी लिखावट भी उतनी ही अधिक प्रभावषाली होगी। ग्राफोलाॅजी के बारें में एक बात दावे से कही जा सकती हैं कि हमने कल तक जो कुछ भी किया हैं, आज उससे बहुत कुछ बेहतर कर सकते हैं। विषेशज्ञों का मानना हैं कि हस्तलेखन विज्ञान में इतनी ताकत हैं कि यह हमारी सभी कमजोरियों को षक्तियों में बदलने की क्षमता रखती हैं। इस पुस्तक में सिग्नेचर सुधार एवं विष्लेशण की ऐसी चमत्कारिक तकनीकी बातें बताई गई हैं जिन्हें अपना कर आप भी जरूर कहेगे कि ग्राफोलाॅजी - कामयाबी की मास्टर चाबी हैं।
जे.पी.एस. जौली (जौली अंकल) ग्राफोलाॅजी-हस्तलेखन विज्ञान के विषेशज्ञ होने के साथ मोटीवेषनल लेखक भी हैं। वह बहुत लबें समय से ग्राफोलाॅजी/हस्तलेखन विज्ञान के माध्यम से लोगों के व्यक्तित्व, व्यवहार एवं भविश्य को निखारने में उनकी मदद कर रहे हैं। इस तकनीक को बिल्कुल सरल भाशा में समझाते हुए वो कहते हैं कि किसी भी इंसान की लिखावट का अध्ययन कर के उसकी सोच, विचार, व्यक्तित्व और चरित्र के बारें में सब कुछ जाना जा सकता हैं। क्योंकि हमारी उंगलियों को सारे सदेंष हमारे अवचेतन मस्तिश्क से मिलते हैं। इसीलिये हर किसी के मन की बात की झलक उसके हस्ताक्षर में देखने को मिल जाती हैं। ग्राफोलाॅजी के विषेशज्ञ तो लिखावट को दिमाग का आईना भी कहते हैं। जैसे की उस व्यक्ति की सोच और विचार कैसे हैं, वो कितना बुद्विमान और गुणी इंसान हैं। कोई इंसान हमारा कितना अच्छा मित्र साबित हो सकता हैं। उनका मानना हैं कि हमारी लिखावट और सिग्नेचर का प्रभाव हमारी जिदंगी के हर पहलू पर पड़ता हैं। इसलिये हम अपनी लिखाई और हस्ताक्षर में थोड़ा बहुत बदलाव कर के अपने वर्तमान और भविश्य को आसानी से संवार सकते हैं।
अभी तक इनकी पहले से छप चुकी 33 पुस्तकों की तरह यह भी आपको ज्ञान, कुषलता और सकारात्मक सोच से भरपूर विचारों से अवगत करायेगी। इन्ही विचारों की बदौलत आप अपने जीवन की कामयाबी का एक मजबूत आधार बना पायेगे। इनके द्वारा लिखी हुई षुरू की चंद पुस्तकों को जब पाठकों ने पंसद किया तो उसके बाद इन्होने कभी पीछे मुड़ कर नही देखा। उनका मानना है कि हर लेखक की सोच अलग होती है इसलिये उसे सदा भीड़ से अलग रहते हुए अपनी पहचान बनानी चाहिए। षायद इसी कारण से इन्होने अपने लिये बिल्कुल नई किस्म की राह चुनी। देष-विदेष में लोकप्रिय इनकी 33 पुस्तकें अब हिंदी के अलावा अग्रेंजी, बंगाली, गुजराती, मराठी एवं पंजाबी भाशा में भी पाठकगण बार-बार पढ़ना पसंद करते हैं।
जौली अंकल ने हर पाठक के दिल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी हैं। उनकी कलम से निकला हुआ हर अक्षर हर उम्र के पाठकों के लिये प्रेरणास्त्रोत का काम करता हैं। यही वजह है कि उनके प्रंषसक एक से एक बढ़ कर एक तरीके से उनके प्रति सम्मान प्रकट करते हैं। अपनी जिंदगी का अनुभव बांटते हुए यह कहते है कि यदि सभी लेखक अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभानी षुरू कर दे तो वो सिर्फ अपने जीवन को ही नही बल्कि सारे आने वाली पीढ़ियों की सोच को भी बदला जा सकता हैं। जौली अंकल की एक ही तमंन्ना हैं कि उनकी कलम से लिखी हुई पुस्तकों से ही उनकी पहचान बनें। उनकी पुस्तकों की कद्र करते हुए इन्हें विभिन्न संस्थाओ द्वारा 125 से अधिक मान-सम्मान, पुरस्कारों एवं अवार्डो से सम्मानित किया जा चुका हैं।