About the Book
यह किताब मध्य पूर्व और यूरोप की यात्रा का रोचक और लुभावना वर्णन पेश करती है जिसे सात दोस्तों ने 1979 में मिलके तय किया था। ये यात्रा उन दिनों की गयी थी जब सम्प्रेषण की विधाएँ, जी पी एस जैसे दिशा और मार्ग दर्शक उपकरण मौजूद नहीं थीं यहाँ तक कि अच्छी सड़कें तक नहीं थीं। इन सीमित हालातों में ऐसी यात्रा करने की सोचना एक बहुत बड़ी चुनौती थी।
सालों गुजरने के बाद इसे लिखने के खूबसूरत एहसास और ख़यालों की बारीक परतों को पलटते हुए लेखक ने तय किया कि अपने अनुभवों को कागज में उतारा जाय। नतीजा सामने है-यूरोडेश एक खोज! यह किताब न केवल कभी-कभी कठिन और कभी श्रमसाध्य यात्रा का विवरण करती है बल्कि अपनी संपूर्णता में अद्भुत और जीवन को बदल देनेवाला अनुभव भी सामने रखती है। इस टीम ने तकरीबन 20,000 की मी की यात्रा तय की। भारत से कुवैत बन्दरगाह, फिर मीलों लंबा अरब का रेगिस्तान, पूर्वी यूरोप और एल्प्स की ऊँची भव्य पर्वतमालाओं से मध्य यूरोप को जाती सड़कें, वह भी मोटर बाइक पर सवार, मितव्ययिता की हदें पार करती पाँच डोलर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति की तंग बजट पर सौ दिनों तक!!
किताब की शैली संवादात्मक है जो ज्यादा से ज्यादा लोगों के दिल में सीधे उतरने की क्षमता रखती है। कहानी जैसी लगती है पर वास्तव में इस टीम के अनुभव में आयीं सच्ची और तथ्यपूर्ण घटनाएँ साझा करती है।
इस किताब में कुछ ख़ास बातें नजर आती हैं। हर अध्याय ईसा के एक सुसमाचार के साथ शुरू होता है। इनमें जीवन के प्रश्नों के सूक्ष्म उत्तर हैं- विश्वास रखो और मकष्सद के साथ जीवन बिताओ। इन नीति कथाओं के माध्यम से लेखक विनय, प्रेम, विवादों-विरोधों का समाधान आदि जीवनकला से जुड़े गुणों के कौशल्य को भी साझा करता है और उन्हें किताब के मुख्य कथ्य से जोड़ता है। हर अध्याय में जीवन की चुनौतियों और अनुभवों से निपटने के लिये आवश्यक नेतृत्व क्षमता के आवश्यक गुण, संदर्भ के अनुसार सामने उभर कर आते हैं। निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि हर इंसान जो यात्रा करना चाहता है पर हिम्मत नहीं जुटा पाता को यह किताब प्रोत्साहित करता है और हर पाठक को प्रेरित करता है कि वह अपने जुनून या सपने को साकार करें।
About the Author
प्रोफेसर अखिल पांडे: टाटा में 44 वर्षों तक कार्यरत रहने के बाद श्री अखिल पांडे टाटा स्टील, एस्सार ग्रुप, टी सी एस आर एस साॅफ्टवेयर, टी सी जी, टाटा पावर आदि कई प्रधान भारतीय कोरपोरेटों में आइ टी रिफार्म्स से संबंद्ध योजनाओं के वास्तुकार रहे हैं।
इनका आइ टी के क्षेत्रा में योगदान विभिन्न देशीय और सर्वदेशीय मंचों में प्रशंसित हुआ है। टाटा पावर में इनके कार्य को देशीय और सर्वदेशीय स्तर पर पहचान मिली है।
ये एक्स एल आर आइ जमशेदपुर के छात्रा रहे हैं और मेकनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री नेशनल इन्स्टिटूट ओफ टेक्नाॅलजी जमशेदपुर से प्राप्त की है। इन्होंने एक्स एल आर आइ, आई आई टी खड़गपुर, टिस्को मेनेजमेंट डिवेलप्मेंट सेंटर, सेल पैंट्स, राँची आदि प्रसिद्ध संस्थानों में अतिथि के तौर पर शिक्षण कार्य किया है।
किताबें पढ़ना और यात्रा करना इनके ख़ास शौकष् हैं। विश्व दर्शन तो किया ही है साथ ही विभिन्न संस्कृतियों व मानव स्वभाव के अध्येता होने के नाते उससे बहुत कुछ सीखते भी हैं।
फिलहाल, वे प्रसिद्ध बिसनेस शिक्षण केंद्र बिमटेक यानी बिरला इन्स्टिटूट ओफ टेक्नोलोजी में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं और सेंटर ओफ मेनेजमेंट डिवेलप्मेंट एंड कोंसलटेंसी के अध्यक्ष हैं।
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