जीवन की डगर में अनेकों व्यक्ति ठोकर खाने के बाद ही सीखते हैं। किन्तु यह आवश्यक नहीं कि बुद्धिमान बनने के लिए ठोकर खाना ही आवश्यक हो। बुद्धिमान तो व्यक्ति ठहाके मारकर भी बन सकता है। यह पुस्तक इसी तथ्य को प्रमाणित करती है।
गुड़ जैसे मीठे स्वाद और गूढ़ ज्ञान वाली यह पुस्तक पाठकों को न केवल भरपूर हसाँएगी बल्कि साथ-साथ उनका ज्ञान व विवेक बढ़ाने का भी कार्य करेगी। यह पुस्तक हर उम्र एवं हर वर्ग के लोगों के लिए मनोरजंक, प्रेरणादायक एवं पथ प्रदर्शक-साबित होगी।
एक ऐसी पुस्तक जिसे आप बार-बार पढ़ना चाहेंगे।
हास्य और बुद्धिमता दो आलौकिक वरदान हैं। हास्य टाॅनिक है, सुकून है व दर्द मिटाने की अचूक दवा है और बुद्धिमता वह शक्ति है जिसके द्वारा सभी समस्याओं को हल किया जा सकता है।
ये दोनों मिल जाएं तो समझिए सोने पे सुहागा। यानि कि सेहत, संबंध, सफलता, सुख व समृद्धि सभी एक साथ।